चीन के बाद अब ये खोलेगा अपने दरवाजे, H-1B कर्मचारियों को देगा रोजगार के नए अवसर

0

ग्लोबल पॉलिटिक्स में यह अवधारणा बहुत फेमस है कि पड़ोसी-पड़ोसी देश एक दूसरे के दोस्त नहीं होते हैं. राष्ट्रहित अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सबसे मूल धारणा मानी जाती है. अभी ऐसा कुछ H-1B वीजा के मामले पर भी देखने को मिल रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले तो मनमाने ढंग से टैरिफ लगाकर दुनिया की इकोनॉमी को थोड़ा पस्त किया. फिर उन्होंने H-1B वीजा के नए आवेदन का शुल्क बढ़ाकर करीब 88 लाख रुपये कर दिया. चूंकि इसका इस्तेमाल भारतीय करते हैं, तो उन पर इसका ज्यादा असर पड़ सकता है. पहले तो H-1B वीजा से प्रभावित होने वालों के लिए चीन ने अपने दरवाजा खोला और अब मौके की नजाकत को समझते हुए अमेरिका का पड़ोसी मुल्क कनाड़ा भी कामगारों के लिए कुछ ऑफर देने की तैयारी में है.

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि उनका देश जल्द ही विदेशी कामगारों को लेने के लिए कुछ प्रस्तावों की घोषणा करेगा, जिनके लिए अमेरिक में काम करने का सपना अब 100,000 डॉलर के एच-1बी वीजा शुल्क के कारण बहुत महंगा हो गया है. कार्नी ने कहा कि अमेरिका में उतने एच1बी वीजा धारकों को वीजा नहीं मिलेगा. ये लोग कुशल हैं और यह कनाडा के लिए एक अवसर है. हम जल्द ही इस पर एक प्रस्ताव लाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि ये लोग उद्यमी हैं और काम के लिए आगे बढ़ने को तैयार हैं.

चीन ने भी दिया था ऑफर

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने H-1B वीजा की फीस बढ़ोतरी पर कहा कि वैश्विक दुनिया में प्रतिभा का सीमा पार करना तकनीकी और आर्थिक प्रगति के लिए आवश्यक है. मंत्रालय ने आगे कहा कि चीन सभी क्षेत्रों और क्षेत्रों से प्रतिभाशाली लोगों का स्वागत करता है. यहां आकर वे न केवल मानवता की प्रगति में योगदान दे सकते हैं, बल्कि अपने करियर में भी सफलता हासिल कर सकते हैं. चीन उन्हें अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने और वैश्विक विकास का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करता है.

भारत पर पड़ेगा ये असर

  1. फिलहाल अमेरिका में करीब 3 लाख हाई स्किल्ड भारतीय कामयाबी हासिल कर रहे हैं और यह ज्यादातर टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं और H-1बी वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं.
  2. अमेरिका में हर साल 85 हजार प्रति H-1बी वीजा लॉटरी सिस्टम से जारी कराए जाते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सा भारत का ही करीब 70 फीसदी प्रति-1बी वीजा भारतीय हासिल करते हैं और भारत के बाद दूसरे नंबर पर चीन है, जिसमें हिस्सेदारी महज 11-12 फीसदी है.
  3. पहले प्रति H-1बी वीजा की फीस ज्यादातर 215 डॉलर से 750 डॉलर के बीच हुआ करती थी. जो कि कंपनी की साइज और श्रेणी पर निर्भर करता था. अधिक से अधिक यह 5000 डॉलर का आंकड़ा पार कर सकता था. इसका मतलब यह की नई फीस 20 से 100 गुना ज्यादा होगी.
Leave A Reply

Your email address will not be published.