चंडीगढ़, 7 सितंबर 2025
पंजाब में आई इस आपदा ने किसी पर रहम नहीं किया, ना इंसानों पर न उनके सपनों पर और ना बेज़ुबानों पर, सबको बहा लेने का इरादा किया था इस बाढ़ ने उन मासूमों को भी जिनके पास बोल कर मदद मांगने के लिए आवाज़ न थी। लेकिन इस अभूतपूर्व बाढ़ में, जिसने 1,400 से अधिक गांवों को डुबोया और 3.5 लाख लोगों को प्रभावित किया, दया और करुणा का एक असाधारण अध्याय सामने आया, जहां मान सरकार और अनगिनत जाबाज़ लोगों ने बेज़ुबानों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और बने अंधेरे में उम्मीद की किरण।
अगस्त 2025 के अंत में, जब सतलुज और ब्यास नदियों ने पंजाब भर में अपना कहर बढ़ाया, तो 15 लाख से अधिक जानवर बढ़ते पानी में फंस गए थे। उनकी बेबस आवाजें डूबे हुए गांवों में गूंज रही थी। पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन मंत्री एस. गुरमीत सिंह खुडियां ने बताया कि इस संकट के दौरान 481 पशु चिकित्सा टीमें मैदान में उतारी गई, जिनमें से हर टीम में 4 सदस्य शामिल है – एक पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु चिकित्सा निरीक्षक/फार्मासिस्ट और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी।
पठानकोट ज़िले के गांव पम्मा के डेयरी किसान गुरबचन सिंह बताते हैं कि कैसे उन्होंने अपनी 12 भैंसों को कीचड़ भरे पानी में खड़े देखा था। वे कहते हैं, “मैने सोचा था कि मैने सब कुछ खो दिया है, लेकिन फिर मैने नावों को आते देखा न केवल हम इंसानों के लिए, बल्कि मेरे जानवरों के लिए भी।” ऐसी ही हजारों कहानियां है जिनमें से लगभग 22,534 जानवरों का इलाज किया गया और उनकी जान बचाई गई।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने, संकट के दौरान अपनी खुद की स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद इतनी शिद्दत से सब संभाला, और स्पष्ट निर्देश दिए “किसी भी जीव इंसान हो या जानवर उसे पीछे नहीं छोड़ा जाएगा।” इस निर्देश ने बाढ़ की प्रतिक्रिया को एक व्यापक जीवन रक्षा मिशन में बदल दिया। कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां ने यह सुनिश्चित किया कि पशु कल्याण के लिए पशु चिकित्सा टीमें गांवों में जाएं। केवल फाज़िल्का में ही, उनके मंत्रालय ने इंसानी राशन के साथ-साथ 5,000 बैग पशु आहार के भी वितरित किए।
कलगीधर ट्रस्ट जैसे संगठनों ने 125 गांवों में 5,000 से अधिक लोगों तक पहुँच कर उनके जानवरों के लिए चारा वितरित किया। कैबिनेट मंत्री खुडियां ने बताया कि विभाग ने प्रभावित जिलों में 12,170 क्विंटल फीड और 5,090.35 क्विंटल हरा चारा, सूखा चारा वितरित किया है।पशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए हर सम्भव प्रयास किया गया।
बात करें आंकड़ों की तो 5,16,000 से अधिक जानवर बचाए गए। मान सरकार और आम आदमी पार्टी के हर वर्कर ने आधुनिक तकनीक और हर संभव प्रयास किया ताकि बाढ़ में फंसे बेज़ुबानों की भी ज़रूरतें पूरी हो। ड्रोन ने छतों पर फंसे जानवरों का पता लगाया, नावों ने संकीर्ण गांव की गलियों से हर गोशाले तक पहुंच बनाई और बहुत सारे जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
फाज़िल्का में 38 मेडिकल टीमों में से आम आदमी पार्टी की नेता डॉ. अमरजीत कौर बताती हैं: “हमे एक गाय मिली जो तीन दिन फंसे रहने के बाद भी अपने नवजात बछड़े की रक्षा कर रही थी। जब हमने उन दोनों को अपनी नाव में उठाया, तो मैने हमारे टीम के लोगों की आंखों में आंसू देखे तब मुझे लगा कि हम सब बहुत बढ़िया काम कर रहे है।”
बात करें इस आपदा की तो इससे नुकसान तो बहुत हुआ। मंत्री खुडियां ने बताया कि पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, फाजिल्का, कपूरथला, बरनाला, भटिंडा, होशियारपुर, तरन तारन, पटियाला, जालंधर, रूपनगर और मोगा सहित 14 जिलों में 504 मवेशी/भैंसें, 73 भेड़ और बकरियां और 160 सुअर मारे गए। इसके अतिरिक्त, पोल्ट्री शेड के गिरने के कारण गुरदासपुर, रूपनगर और फाज़िल्का में 18,304 मुर्गी पालन पक्षी मर गए। लगभग 2.52 लाख जानवर और 5,88,685 पोल्ट्री पक्षी बाढ़ से प्रभावित हुए।
मगर सरकार ने किसी का साथ नहीं छोड़ा और उनका कहना है कि आगे भी नहीं छोड़ेंगे। और इस स्थिति में तो बहुत से काम किए गए जैसे विशेष जल निकासी प्रणालियों ने 1,000 एकड़ से अधिक जलभराव वाली भूमि को सुखाने में मदद की, जिससे बचाए गए जानवरों के लिए सुरक्षित स्थान बनाए गए। मुख्य सचिव पशुपालन श्री राहुल भंडारी ने बताया कि विभाग ने बाढ़ से प्रभावित पशुओं के इलाज के लिए कुल 31.50 लाख रुपए जारी किए है। उन्होंने अधिकारियों को संकट कॉल का तुरंत जवाब सुनिश्चित करने, प्रभावित पशुओं को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने, और प्रभावी राहत कार्य के लिए ज़िला प्रशासन और सामाजिक संगठनों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया।
ग्रामीण विकास मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद द्वारा राहत कार्य के तीसरे चरण में मानव राशन के साथ पशु आहार का वितरण सरकार की उस दर्शन को दर्शाता है जो सभी प्राणियों को परिवार मानती है। प्रभावित ज़िलों में तैनात 28 पशु चिकित्सा टीमें केवल जानवरों की बीमारियों का इलाज नहीं कर रही थी बल्कि उन किसानों के दिलों को भी ठीक कर रही थी जिन्होंने अपनी जीवन भर की मेहनत को बहते देखा था। राज्य मुख्यालय (संपर्क नंबर 0172-5086064) और ज़िला स्तरीय कार्यालयों दोनों में 24×7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए है।
2025 की पंजाब बाढ़ को केवल एक प्राकृतिक आपदा के रूप में ही याद नहीं किया जाएगा, बल्कि एक निर्णायक क्षण के रूप में जब भगवंत मान सरकार और पंजाब के लोगों ने साबित किया कि सच्चे नेतृत्व का मतलब है हर धड़कन की रक्षा करना चाहे वह इंसान की हो या जानवर की। हमारे सबसे मुश्किल दिनों में, पंजाब ने दिखाया कि हमारे प्रेम की क्षमता की कोई सीमा नहीं है। और जब हम अपनी करुणा के दायरे को सभी जीवित प्राणियों तक बढ़ाते है, तो हम केवल जानवरों को नहीं बचाते हम अपनी स्वयं की इंसानियत को बचाते है।