केंद्र सरकार द्वारा सितंबर 2020 में पास कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू हुए 7o से अधिक दिन हो चुके हैं । इस आंदोलन की आग विदेशों में भी सुलग रही है। सोशल मीडिया पर आंदोलन से जुड़े कई मीम्स, वीडियो वायरल हो रहे हैं । ज्यादातर लोग किसानों के पक्ष में बात कर रहे हैं और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इस बीच किसानों से जुड़ा विष्णु पुराण सीरियल का एक सीन भी तेजी से वायरल हो रहा है जिसे लोग PM मोदी के लिए भगवान का खास संदेश मान रहे हैं ।
इस सीन को देखकर लोग प्रधानमंत्री मोदी को इससे सीख लेने की बात कर रहें हैं। लोगों का कहना है कि PM मोदी भगवान कृष्ण के संदेश को गहराई से समझें और इस सीख को आत्मसात कर किसान हितों के बारे में फैसला लें । वायरल हो रहे इस सीन में भगवान कृष्ण देश के राजा का कर्तव्य और किसानों का महत्व बता रहे हैं ।
सोशल मीडिया पर वॉर
बता दें कि किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर वॉर चल रही है। पिछले 24 घंटे में कई विदेशी हस्तियां सामने आईं। क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वे भारत में किसानों के आंदोलन के साथ हैं। लेकिन किसान आंदोलन के नाम पर प्रोपेगेंडा चला रही जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने भड़काऊ ट्वीट करने के आरोप में FIR दर्ज कर ली है।
वहीं पॉप सिंगर रिहाना ने लिखा कि आखिर हम किसान आंदोलन के बारे में चर्चा क्यों नहीं कर रहे हैं। इन पर भारतीय सेलेब्रिटीज ने पलटवार भी किया। रिहाना को जवाब देते हुए कंगना रनोत ने लिखा, ‘बैठ जाओ मूर्ख। हम तुम लोगों की तरह अपना देश नहीं बेच रहे। कोई भी इस मुद्दे पर इसलिए बात नहीं कर रहा, क्योंकि हिंसा फैला रहे लोग किसान नहीं, आतंकी हैं।’
‘जब कोई राजा डरता है तो किले बंदी का सहारा लेता है’
गौरतलब है कि देश में यह आंदोलन पंजाब, हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों तक पहुंच चुका है। पश्चिमी यूपी के जाट किसान इस आंदोलन की जड़़ में हैं जो केंद्र की भाजपा सरकार के लिए टेंशन की बात है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि अभी तो किसान कानूनों की वापसी की मांग कर रहे हैं, जब गद्दी वापसी की मांग करेंगे तब सरकार क्या करेगी? गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर कीलबंदी के बाद टिकैत ने कहा कि जब कोई राजा डरता है तो किले बंदी का सहारा लेता है। ठीक ऐसा ही हो रहा है।
सरकार द्वारा बातचीत के लिए किसानों के 5 प्रस्ताव
1. तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस ले।
2. MSP का कानून बनाए।
3. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करे।
4. पकड़े गए लोगों और जब्त किए गए ट्रैक्टर छोड़े जाएं।
5. किसानों का कर्ज माफ हो ।
आंदोलन में राजनीतिक पार्टियों की एंट्री खतरे की घंटी
सितंबर 2020 में जब संसद से तीन नए कृषि कानून पास हुए तब किसानों का विरोध-प्रदर्शन खासकर पंजाब और हरियाणा में ही होता रहा। केंद्र की BJP सरकार भी समझती रही कि पंजाब-हरियाणा के चावल और गेहूं उत्पादक नाराज हैं लेकिन जैसे ही इन किसानों ने दिल्ली कूच किया और दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला और आंदोलन व्यापक हो चला। 26 जनवरी तक किसानों ने भी अपने आंदोलन को सियासी दलों से दूर रखा लेकिन गणतंत्र दिवस पर हिंसा और गाजीपुर बॉर्डर पर बदली परिस्थितियों के बाद राजनीतिक पार्टियों की सीधे तौर पर इसमें एंट्री हो गई जो केद्र सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है।