क्या रूस-यूक्रेन युद्ध में ‘फुकुशिमा’ चैप्टर होगा शुरू, जानिए एटमी विनाश को लेकर क्यों बढ़ी टेंशन
यूक्रेन और रूस की जंग से दुनिया पर मंडरा रहे बारूदी बादल अब किसी भी समय बरस सकते हैं और ये सिर्फ इसलिए नहीं कहा जा रहा है क्योंकि यूरोप और अमेरिका युद्ध भड़काने की तैयारी कर रहे हैं, बल्कि इसका कारण है एक ऐसी घटना जिसने न्यूक्लियर तबाही को आमंत्रण दे दिया है. हालांकि इसमें कोई न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल नहीं होगा, लेकिन हथियार बन जाएगा यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट.
रूस-यूक्रेन के मोर्चे पर साढ़े तीन साल से जारी युद्ध ने विनाश का वो द्वार खोल दिया है, जिसमें यूरोप समेत दुनिया के वो सभी देश शामिल हो चुके हैं, जो किसी गुट में रहकर खुद को ताकतवर समझते हैं इसलिए युद्ध की तैयारी व्यापक हो रही है. एक तरफ NATO, यूरोप और अमेरिका मोर्चा खोलने को तैयार हैं, तो दूसरी तरफ पुतिन अपने गुट में शामिल देशों के साथ पश्चिम पर विनाश का बवंडर उठाने के लिए तैयार है. इन्हीं हालात में यूक्रेन पर दोहरा असर पड़ रहा है.
पहला असर ये कि यूक्रेन-रूस के बीच संघर्ष और भीषण हो गया है, तो दूसरा असर ये है कि यूक्रेन पर रूस कम क्षमता वाले हमले कर रहा है यानी एक तरफ हमले की गति बढ़ी है तो दूसरी तरफ विनाशकारी हथियारों के इस्तेमाल से परहेज किया जा रहा है, तो क्या भविष्य की व्यापक जंग में उतरने के लिए रूस-यूक्रेन अपने घातक हथियार बचा रहे हैं और अगर ये सच है? तो फिर मौजूदा टकराव में रूस-यूक्रेन एक-दूसरे से बढ़त कैसे बनाएंगे? इन सभी सवालों का एक ही जवाब है बड़े घातक हमलों के बिना भीषण तबाही.
क्या रूस न्यूक्लिर प्लांट से रेडिएशन फैलाकर सर्वनाश चाहता है?
जेपोरिजिया को इस समय जिस अंधेरे ने घेर रखा है. वो शांति के उजाले से पहले की खामोशी नहीं है, बल्कि एक ऐसे विनाशकारी धमाके के पहले का सन्नाटा है, जिसे दुनिया साक्षात देखेगी और इससे होने वाले विनाश को भी साक्षात अनुभव करेगी. यूक्रेन और रूस के युद्ध में टकराव की वो स्थिति है, जिसमें विनाशकारी हमलों के बिना नुकसान पहुंचाया जा सकता है, लेकिन सवाल ये है कि कौन, किसे नुकसान पहुंचाना चाहता है? क्या रूस न्यूक्लिर प्लांट से रेडिएशन फैलाकर सर्वनाश चाहता है या फिर यूक्रेन ZNPP से रेडिएशन फैलाकर विश्वयुद्ध की भूमिका तैयार करना चाहता है?
सवाल इसलिए उठना जरूरी है क्योंकि स्थिति अभी तक साफ नहीं है कि जेपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट के न्यूक्लियर रिएक्टर में धमाके चाहता कौन है? लेकिन दूसरी तरह ये साफ है कि धमाके और रेडिएशन फैलाने की तैयारी हो चुकी है, जिसका प्रमाण है, जेपोरिजिया प्लांट में पसरा अंधेरा और ये इसलिए हुआ है क्योंकि 23 सितंबर की शाम से जेपोरिजिया न्यूक्लियर पावर प्लांट की बिजली कट चुकी है, जिसके बाद रिएक्टरों के कूलिंग सिस्टम के लिए इमरजेंसी जनरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है और मुमकिन है कि जिन जनरेटरों से कूलिंग सिस्टम चल रहा है वो बहुत जल्द ठप हो जाएं.
न्यूक्लियर रिएक्टरों में कूलिंग के बिना विस्फोट होंगे
हालांकि, चिंता इस बात की नहीं है कि जनरेटर किसी भी समय बंद हो सकते हैं, बल्कि चिंता इस बात की है कि बिजली लाइन जुड़ने की संभावना पूरी तरह खत्म हो चुकी है, जिसका सीधा मतलब है कि हालात न्यूक्लियर तबाही के कगार पर हैं. ठीक वैसी ही न्यूक्लियर तबाही जैसी सोवियत काल में यूक्रेन ने 1986 में चेर्नोबिल न्यूक्लियर हादसे में देखी थी, या फिर 2011 में जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट में देखी थी. न्यूक्लियर रिएक्टरों में कूलिंग के बिना विस्फोट होंगे और लोग रेडिएशन से न्यूक्लियर धमाके जैसी ही तबाही का सामना करेंगे.
ये मुमकिन इसलिए है क्योंकि जेपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट का कूलिंग सिस्टम ठप हुआ, तो कुछ ही देर में न्यूक्लियर रिएक्टरों का तापमान उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगा और जिससे न्यूक्लियर रिएक्टर तबाह हो जाएंगे. ये हुआ तो 6 रिएक्टर से न्यूक्लियर रेडिएशन 314 वर्ग किलोमीटर से 2,827 वर्ग किलोमीटर तक फैल जाएगा. यहां तक कि इससे कीव और क्रीमिया में जनजीवन संकट में पड़ जाएगा. यही नहीं पूर्वी हवाओं के जरिए रेडिएशन यूरोपीय देशों तक फैल जाएगा. क्या ये जेपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट के जरिए चेर्नोबिल और फुकुशिमा जैसी तबाही की साजिश है? और है तो किसकी है?
सवाल इसलिए क्योंकि अभी ये प्लांट रूस के नियंत्रण है और रूस ने ही इस आपदा की साजिश को गहरा दिया है. ZNPP के डायरेक्टर एवगेनिया याशिना का दावा है कि यूक्रेनी सेना संयंत्र पर हमले करके खतरा बढ़ा रही है. न्यूक्लियर पावर प्लांट की सुरक्षा कर पाना मुश्किल हो गया है. लगातार जारी गोलाबारी से रिएक्टरों को नुकसान पहुंचने की आशंका है. बड़े पैमाने पर किसी दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, यानी रूस का पक्ष साफ है कि जेपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट को रूस से नहीं बल्कि यूक्रेन से ज्यादा खतरा है. ये जानते हुए भी कि अगर न्यूक्लियर विनाश हुआ तो यूरोप भी इसकी जद में होगा. सवाल उठता है कि यूक्रेन ये चाहता क्यों है?
जेलेंस्की ने युद्ध विस्तार का विकल्प तलाशा
इस प्रश्न का सीधा जवाब है, जेलेंस्की ने युद्ध विस्तार का विकल्प तलाश लिया है. ZNPP से रेडिएशन लीक होने पर रूस घिर जाएगा. यूरोप और अमेरिका को प्रत्यक्ष युद्ध में उतरना पड़ जाएगा. हालांकि, इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि रूस को अगर यूक्रेन को दक्षिणी और यूरोप को पूर्वी हिस्से से काटना है, तो उसके लिए भी जेपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट एक हथियार साबित हो सकता है. वो हथियार जो दुर्घटना से विनाश लाएगा और रूस को बड़े भू-भाग पर कब्जा मिल जाएगा.