नई दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर तैनात भारतीय जवानों को चीनी आक्रामकता ने निपटने के लिए हर जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक इसके तहत ही फॉरवर्ड बेस पर सेना के जवानों को एसआईजी सॉर 716 असॉल्ट राइफलें (Sig Sauer 716 assault rifles) और स्विस एमपी-9 पिस्टलें (Swiss MP-9 pistols) मुहैया कराई गई हैं। ऐसा इसलिए ताकि सीमा पर सेना के जवान अचानक आने वाली किसी भी चुनौती का सामना कर सकें।
एलएसी से लगे ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात सेना के अधिकारियों ने कहा कि सैनिकों को अब ऑपरेशन के लिए अमेरिकी एसआईजी सॉर 716 असॉल्ट राइफलें दी गई हैं। इसकी रेंज 500 मीटर तक है और यह पर्वतीय इलाके में यह एक प्रभावी हथियार साबित हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वी लद्दाख खास तौर पर गलवन घाटी में चीनी आक्रामकता के कारण सीमा पर स्थिति बिगड़ने के बाद भारत ने लगभग 1.5 ऐसी राइफलों का ऑर्डर दिया था। इस ऑर्डर के तहत बड़ी संख्या में ऐसी राइफलें प्राप्त की हैं
यह खबर ऐसे वक्त में सामने आई है जब पूर्वी लद्दाख में गोगरा टकराव बिंदु पर करीब 15 महीनों तक आमने-सामने रहने के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की है। भारतीय सेना ने शुक्रवार को बताया था कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया चार और पांच अगस्त को पूरी की गई। इस प्रकिया में दोनों सेनाओं द्वारा निर्मित सभी अस्थायी ढांचों और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचों को नष्ट कर दिया गया। यही नहीं परस्पर तरीके से उनका सत्यापन भी किया गया।
थल सेना की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पेट्रोलिंग प्वाइंट-17ए या गोगरा में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया कोर कमांडर स्तर की 12वें दौर की सैन्य वार्ता में हुए समझौते के अनुरूप की गई। पूर्वी लद्दाख में चुशुल-मोल्दो मीटिंग प्वाइंट पर 31 जुलाई को हुई बैठक में दोनों पक्ष गोगरा इलाके से सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुए। सेना ने कहा कि दोनों पक्षों के सैनिक अब अपने-अपने स्थायी बेस में हैं। इसके साथ ही टकराव वाले एक और इलाके का समाधान हो गया है।