छत्‍तीसगढ़ में निवेशकों में रकम वापसी की जगी उम्मीद

Om Giri
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में 155 चिटफंड कंपनियों ने एजेंटों के माध्यम से निवेशकों को 60 हजार करोड़ रुपये की चपत लगाई है। हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के निर्देश पर चिटफंड कंपनियों में गाढ़ी कमाई डूबने के पांच साल बाद अब राज्य शासन ने निवेशकों की संख्या और ठगी की राशि का ब्योरा जुटाना शुरू किया है। यह एक सकारात्मक और उम्मीद जगाने वाली प्रक्रिया है। तीन साल पहले भी चिटफंड कंपनियों की ठगी के शिकार निवेशकोें से आवदेन मंगवाए गए थे, जो अब रद्दी में हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद शुरू की गई इस प्रक्रिया से निवेशकों को भरोसा है कि ठगी की बड़ी रकम की उगाही की जा सकेगी।

कोरोना संक्रमण काल में नौकरी गंवा चुके लाखों लोगों के लिए चिटफंड कंपनी में निवेश के बाद डूबी रकम का कितना महत्व होगा, यह समझा जा सकता है। कई घरों में अभी भी रोजी-रोटी के लाले पड़े हुए हैं, तो कहीं बच्चों के शादी-ब्याह अटके हुए हैं। बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों के कारण भी हजारों निवेशक कर्जदार हो गए हैं। यही वजह है कि इस मामले को राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर में पूरी संजीदगी के साथ अंतिम लक्ष्य तक पहुंचाना जरूरी है। राज्य में सत्ताधारी पार्टी के लिए भी यह बड़ी चुनौती है क्योंकि उनके घोषणापत्र में चिटफंड कंपनियों में निवेशकों की डूब चुकी रकम वापस दिलाने का वादा किया गया था। सत्ताधारी पार्टी एक के बाद अपने वादों को पूरा कर रही है, तो निवेशकों की सर्वाधिक उम्मीदें उन्हीं पर टिकी हुईं हैं। इस बीच जब पता चलता है कि शुक्रवार को सुपेला में 45 लोगों से चार करोड़ की ठगी करने वाली कंपनी बांगडा रियल इंफ्रा लिमिटेड के तीसरे डायरेक्टर रीतेश देवांगन को गिरफ्तार किया गया है, तो लोगों की उम्मीद भरोसे में बदलने लगती है।
पिछले तीन दशक में कुकुरमुत्ते की तरह उग आने वाली चिटफंड कंपनियों और उनकी ओर से की गई अरबों-खरबों रुपयों की धोखाधड़ी के पूरे सिंडिकेट को भी समझने और उन पर नजीर बन जाने वाली सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। साथ ही इनकी गतिविधियों पर भी अध्ययन करने की जरूरत है क्योंकि शुरुआती दौर में ईमानदार और पारदर्शी नजर आने वाली ऐसी कंपनियां कब रातोंरात गायब हो जाती हैं, पता ही नहीं चलता। चिटफंड कंपनियों को शुरू करने के अधिनियमों, दिशा-निर्देशों पर नए सिरे से संशोधन करने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी कंपनियों पर निवेश करने वालों को दर-दर की ठोकरें न खानी पड़े। इन कंपनियों में काम करने वाले एजेंटों से भी अधिक सजगता और जागरूकता की अपेक्षा है। सबसे बड़ी बात, निवेशकों को अधिक ब्याज दर और मोटी रकम की लालच में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि नतीजा सामने है।
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