रायपुर: बिजली कंपनी द्वारा मेंटेनेंस सही तरह से ना हो पाने का खामियाजा आम लाेगों को भुगतना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि लगातार बिजली लाइनों से दुर्घटना के मामले सामने आ रहे हैं। इसमें सैकड़ों लोगों की जान जाने के साथ ही व्यक्ति अपंगता के शिकार हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार हर साल बिजली दुर्घटना से मौत के अधिकांश मामले मई से अगस्त के बीच के होते हैं। इसमें ज्यादातर केस खेतों में तार, पोल टूटकर गिरने की वजह से किसानों व आम लोगों के साथ ही मवेशियों की भी जान चली जाती है। तूफान और बारिश की वजह से जून से सितंबर के बीच ज्यादा दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। जानकारी के मुताबिक प्रतिवर्ष बिजली करंट से दुर्घटना के 1,000 से अधिक मामले सामने आते हैं। इधर राज्य के एक मात्र शासकीय सुपरस्पेशियलिटी डीकेएस अस्पाताल में हर औसत 10 मरीज बिजली की करंट से झुलस कर इलाज के लिए आते हैं। इसमें ज्यादातर लोग अपंगता के शिकार हो जाते हैं। अस्पताल के सह अधीक्षक डा. हेमंत शर्मा ने बताया कि 50 फीसद से अधिक झुलसे हुए पीड़ितों के मौत की आशंका 70 फीसद तक होती है।
बढ़ रहे दुर्घटनाओं के आंकड़े
दुर्ग परिक्षेत्र के ईडी संजय पटेल ने बताया कि 2020 में जिले में बिजली दुर्घटना से 13 लोगों की मौत हुई है। 17 लोग अपंगता के शिकार हुए हैं। बारिश के मौसम में ज्यादातर मामले सामने आते हैं। दुर्घटना होने पर इलाज की पूरी व्यवस्था है। कांकेर जिले में ईई एसके किंडो ने बताया कि इस वर्ष जनवरी से अप्रैल माह तक करंट से चार लोगों की मौत हुई। वही पिछले वर्ष 20 लोगों ने जान गंवाई है।
प्रदेश में वर्ष 2019 से 2020 तक करंट के मामले
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- 402 करंट के मामले सामने आए
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- 289 लोगों की मौत हुई
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- 112 अपंगता के शिकार हुए
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- 447 जानवरों की करंट से मौत
नोट : करंट से मौत में बाहरी व्यक्तियों के साथ बिजलीकर्मी और ठेकाकर्मी भी शामिल हैं। इसमें कुछ मौत के आंकड़े कुछ पिछले साल के भी हैं, जिन्हें मुआवजा दिया गया है।
बिजली कंपनी करंट की स्थिति में मुआवजा
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- 04 लाख रुपयेबाहरी व्यक्ति या कंपनी के ठेका श्रमिकों की मौत पर
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- 60 हजार रुपये 60 फीसद से कम अपंगता पर
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- 02 लाख रुपये 60 फीसद से अधिक अपंगता पर
मवेशियों के बिजली से मौत पर मुआवजा
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- गाय, भैंस, ऊटनी – 32,800
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- ऊंट, घोड़ा, बैल, भैंसा – 30,000
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- बछड़ा, गधा, सूअर खच्चर – 20,000
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- बकरी, भेड़ – 3300
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- घरेलू पोल्ट्री में पल रहे पक्षी – 80 रुपये प्रति पक्षी
मुआवजा देने का प्रविधानबिजली कंपनी द्वारा घटना की जांच कर 48 घंटे के भीतर 20 हजार और शेष राशि 30 दिनों के भीतर दिए जाने का प्रविधान है। मृतक या अपंग होने पर स्वजन जरूरी दस्तावेज विभाग को देना होता है। विद्युत चोरी, छेड़छाड़ के प्रयास, घर में दुर्घटना, विद्युत लाइन डालने के बाद कंपनी के अनुमति के बिना किसी तरह के निर्माण जैसे घटनाओं पर मुआवजा नहीं मिलता है।
रायपुर शहर क्षेत्र बिजली लाइन के मुख्य अभियंता आरए पाठक ने कहा कि पोल गिरने की शिकायत ज्यादातर मई से जुलाई के बीच में आते हैं। दुर्घटनाएं कम हो इसके समय-समय पर लाइन मेंटेनेंस का काम चलते रहता है। दुर्घटना से मौत पर मुआवजे के लिए एफआइआर, पोस्टमार्टम की कापी व अन्य जरूरी दस्तावेज मिलने के बाद मुआवजा दिया जाता है। दुर्घटना और मौत के कितने मामले सामने आए इसका आंकड़ा देखकर ही बता पाऊंगा।