रायपुर। कोई भी व्यक्ति छूने की कोशिश करें, नौकरी, पैसा या अन्य कोई प्रलोभन दे, अश्लील मैसेज करे, अश्लील फिल्म दिखाए या आंखों से घूरे, तो यह सब लैंगिंग उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। इसकी शिकायत करें तो तुरंत कार्रवाई होगी। किसी से भी डरने, घबराने की जरूरत नहीं है। महिलाओं के लिए विशेष कानून बना है, इसके प्रति जागरूक रहें। यह टिप्स राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने नर्सिंग महाविद्यालय की छात्राओं को वेबिनार में दिया।
सिटी मारना, गिफ्ट देना अपराध
अधिवक्ता शमीम रहमान ने छात्राओं को बताया कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतों के निवारण के लिए नौ दिसंबर 2013 को कानून लागू किया गया है। किसी भी आयु की महिला शिकायत कर सकती है। फॉरेंसिंक विशेषज्ञ डॉ. सुनंदा ढेंगे ने बताया कि लैंगिंक उत्पीड़न दो तरह के होते हैं। एक मौखिक रूप में जैसे किसी भी महिला के साथ हाय, बेबी इस तरह के शब्दों का प्रयोग या सिटी मारना
दूसरा शारीरिक रूप में जैसे किसी महिला के आने-जाने के रास्ते में उन्हें रोकना या उनका पीछा करना, गले लगना, कंधे पर हाथ रखना, टच करना, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर मैसेज भेजना आदि शामिल है। डीआईजी हिमानी खन्ना ने कानून की जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 304 दहेज के बारे में, धारा 306 आत्महत्या, धारा 313 स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कराना, धारा 326 एसिड अटैक, धारा 354 महिला के खिलाफ कोई भी छेड़छाड़, धारा 363 एवं 386 अपहरण, धारा 370 मानव तस्करी महिला को बेचने का व्यवसाय करने, धारा 376 बलात्कार की परिभाषा को दर्शाते हैं।
जहां पुरूष कर्मी वहां कमेटी जरूरी
महिला एवं बाल विकास अधिकारी सीएस लाल ने कहा कि कार्यस्थल पर दो से अधिक महिलाओ के कार्यरत होने पर दो कमेटियां गठित की जाती हैं। इसमे एक 10 सदस्यीय आईसीसी कमेटी गठित होती है। कार्यालयीन दफ्तर में एक बोर्ड के माध्यम से इस कमेटी के सदस्यों के नाम, मोबाइल नंबर दर्ज हो। जहां केवल पुरुष कर्मचारी होते हैं, वहां पर इस कमेटी का गठन नहीं किया जाता है। संचालन छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सचिव अनिता अग्रवाल ने किया।