बिलासपुर-अंबिकापुर। आषाढ़ के पहले दिन आयोजित होने वाला रामगढ़ महोत्सव पर इस साल भी विराम लग गया है। महाकवि कालिदास की अमर कृति मेघदूतम की रचनास्थली रामगढ़ को ही मानी जाती है। महोत्सव का आयोजन नहीं होने के कारण लोगों ले केवल ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्त्व से जुड़े स्थलों का भ्रमण किया
विकासखंड उदयपुर के रामगढ़ चौक पर स्थित महाकवि कालिदास की प्रतिमा पर जनप्रतिनिधियों द्वारा माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम के दौरान जनपद अध्यक्ष भोजवंती सिंह, मंत्री प्रतिनिधि सिद्धार्थ सिंह देव, राजनाथ सिंह जिला पंचायत सदस्य , राजीव सिंह, द्वारिका यादव , राम सिंह , आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी पारस पैकरा, जनपद सदस्य शांति राजवाड़े तथा अन्य लोग उपस्थित रहे।
बता दे कि हर वर्ष आषाढ़ के प्रथम दिन के अवसर पर भव्य मेला एवं संगोष्ठी का आयोजन सीता बेंगरा में प्रशासनिक आयोजन होता था परंतु विगत दो वर्षों से कोरोना की वजह से यहां पर किसी भी प्रकार का मेला संगोष्ठी नहीं हो रहा है । स्थानीय लोगों को इस बात का मलाल भी है की शासन द्वारा बड़े पैमाने पर मैनपाट महोत्सव तो करा लिया जाता है परंतु रामगढ़ की सुध ही नहीं है।पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा रामगढ़ छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी परियोजना राम वन गमन परिपथ में भी शामिल है परंतु इसकी उपेक्षा समझ से परे है ।
मेले का आयोजन प्रशासनिक तो नही हुआ परंतु लोगों की आस्था यहां के लिए कम नहीं हुई। प्रथम आषाढ़ के दिन कालिदास की मेघदूतम के रचना स्थली और प्राचीनतम नाट्यशाला सीता बेंगरा को देखने हजारों की संख्या में ग्रामीण पहुंचे और सीता बेंगरा, हथफोड़ जोगीमाड़ा गुफाओं का दर्शन कर वापस अपने गंतव्य की ओर चले गए। बच्चों एवं महिलाओं की पार्क में भीड़ देखी गयी।