आगरा। दुश्मनों को धूल चटाने और दुनिया में देश का डंका बजाने के लिए आत्मनिर्भर भारत नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस अभियान को हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास संस्थापन (एडीआरडीई) साकार करने में जुटा है। समतल मैदान हो या फिर रेतीला और दुर्गम क्षेत्र। ऐसे क्षेत्रों में अब आसानी से टैंक/बीएमपी को उतारा जा सकेगा। टैंक को जमीन पर उतारने के लिए हैवी ड्राप सिस्टम (16 टन वजन तक) विकसित किया जा रहा है। इसके कई सफल ट्रायल हो चुके हैं।
एडीआरडीई ने दस साल पूर्व हैवी ड्राप सिस्टम (तीन टन वजन तक) विकसित किया था। वर्तमान में सेना में इसका प्रयोग किया जा रहा है। डेढ़ साल पूर्व हैवी ड्राप सिस्टम (सात टन वजन तक) पर काम शुरू हुआ। हाल ही में मलपुरा ड्रापिंग जोन में सिस्टम का सफल ट्रायल किया गया। इन सब के बीच एडीआरडीई एक और हैवी ड्राप सिस्टम (16 टन वजन तक) बना रहा है। अब तक इसके कई सफल ट्रायल हो चुके हैं।
ये है हैवी ड्राप सिस्टम
तीन से पांच पैराशूट का गुच्छा होता है। जिसके साथ टैंक/बीएमपी को बांध दिया जाता है। आइएल-76 से चार हजार मीटर की ऊंचाई से ड्राप कर दिया जाता है।
स्वदेशी मैटेरियल का इस्तेमाल
एडीआरडीई ने हैवी ड्राप सिस्टम को विकसित करने में स्वदेशी मैटेरियल का इस्तेमाल किया है। इसमें उन्नत किस्म की नायलान सहित अन्य मैटेरियल शामिल है।