बिलासपुर। निजी तालाब का सरकारी उपयोग और परिवर्तित कर उस पर शासकीय स्कूल निर्माण किए जाने का मामला नगर विधायक शैलेष पांडेय ने विधानसभा में उठाया। भूमि स्वामी के पक्ष में नामांतरण किए जाने के शासन के आदेश के बाद भी तालाब को परिवर्तित कर शासकीय स्कूल भवन का निर्माण कर दिया गया था। मामले में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल से चर्चा में विधायक ने कहा कि 13 वर्षो से न्याय नहीं हुआ है और कितनी जांच प्रशासन करेगा। तब मंत्री ने कहा है तीन माह में जांच कर पीड़ित को न्याय दिलाएंगे।
विधानसभा में ध्यानाकर्षण में विधायक ने बताया कि 25 जून 1968 को भूमि स्वामी के पक्ष में दर्ज करने निर्देशित किया गया था। इसके बाद राजस्व अभिलेखों में भूमि स्वामी का नाम अंकित किया जाना था, परंतु ऐसा नहीं किया गया और तालाब शासन के नाम में ही रहा। इस बीच 1990 के लगभग शासन द्वारा भूमि स्वामी की अनुमति बिना तालाब को भूमि में परिवर्तित कर शासकीय भूमि माध्यमिक शाला भवन का निर्माण कर दिया गया
इसकी जानकारी भूमि स्वामी को हुई तो उन्होंने सभी दस्तावेज के साथ तहसीलदार के समक्ष भूमि को नामांकित करने आवेदन लगाया। सन 2009 में अचानक शासन द्वारा पूर्व माध्यमिक शाला के अतिरिक्त हाई स्कूल का निर्माण भूमि स्वामी उदय गुप्ते को सूचित किए बगैर कर दिया गया। तब भूमि स्वामी उदय गुप्ते वगैरह अतिरिक्त कलेक्टर के सामने एक लिखित आपत्ति प्रस्तुत की।
इस पर कलेक्टर ने तहसीलदार बिल्हा को निर्देशित किया कि सीमांकन बाद ही निर्णय निर्माण करें, परंतु तहसीलदार एवं अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और एक आपत्ति डीआरडीए के समक्ष प्रस्तुत की गई। इसमें उन्होंने कार्यपालन अधिकारी जनपद, ग्राम सचिव एवं सरपंच को निर्देशित किया कि सीमांकन बाद सिर्फ शासकीय भूमि में ही निर्माण करें अगर ऐसा नहीं होता, तो भविष्य में होने वाले किसी भी विवाद की उनकी स्वयं की जिम्मेदारी होगी। लेकिन इन सब बातों का किसी अधिकारी पर कोई असर नहीं हुआ।