बिरगांव। राजधानी के सबसे व्यस्त और राजस्व प्रदान करने वाला बिरगांव निगम क्षेत्र के रहवासी मौत के साए में जीने के लिए मजबूर हैं। लोगों को यहां न मूलभूत सुविधाएं मिल पा रही हैं, और न ही वे रात को सुकून से सो पा रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि उरला वार्ड नंबर तीन में निवासरत मजदूरों के घर के उपर से खुली हाईटेंशन तार दौड़ रही है। खपरैल का मकान होने के कारण वायर के नीचे बने घरवाले हमेशा दहशत के साए में रहते हैं।
स्थिति इतनी विस्फोटक है कि बरसात के मौसम में यदि थोड़ी सी भी तेज हवा चलती है, तो दिन भर खून पसीना बहा कर घर लौटने वाले यह मजदूर दहशत के चलते रात को जागकर अपने स्वजनों की हिफाजत के लिए चौकीदारी करने मजबूर रहते हैं, ताकि तेज बारिश और अंधड़ के कारण कहीं यह खुली हाइटेंशन करंट प्रवाहित तार गिरकर मौत का कारण न बन जाए।
एक ओर इस इलाके में सैकड़ों फैक्ट्रियां संचालित है, वहीं इन फैक्ट्रियों में कार्यरत हजारों मजदूर अपना पसीना बहाकर पूंजीपतियों का खजाना भरने के साथ ही सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते है, परंतु मजदूर परिवार सुकून की नींद नहीं ले पा रहा है। और न ही इन्हें मूलभूत सुविधाएं ही मिल पा रही हैं।
उरला के वार्ड नंबर तीन में जब नईदुनिया की टीम पहुंची तो रहवासियों ने अपनी भड़ास निकालते हुए बताया कि लंबे समय से इलाके में हाइटेंशन तार खुली हुई उनके घरों के उपर से गुजरी है। इसके कारण कभी भी भीषण दुर्घटना हो सकती है, क्योंकि यहां निवासरत मजदूरों का घर लकड़ी तथा खपरैल से बने हुए है। ऐसे में कभी भी अगर यह करंट प्रवाहित तार घरों पर गिरती है, तो जन-धन की हानि होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
आश्चर्यजनक यह है कि इस मसले को लेकर स्थानीय निवासियों ने बिजली विभाग के साथ निगम के जिम्मेदार अधिकारियों को कई बार जानकारी दी बावजूद इसके अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई। समस्या का निराकरण न होने से यहां के लोग खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं।
हर पल हादसे का खतरा
राजधानी का औद्योगिक क्षेत्र बीरगांव कहने को तो सबसे बड़ा निगम क्षेत्र है, परंतु यहां किसी भी वार्ड में लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है और ना यहां लोगों को पर्याप्त मात्रा में पीने के लिए स्वच्छ पानी मिल पा रहा है और न ही अपने घरों तक जाने के लिए साफ-सुथरे रास्ते जगह-जगह बने गड्ढे तथा हवा में झूलते खुले तार लोगों को दहशत में जीने के लिए मजबूर कर रही है, परंतु जिम्मेदार आज भी इन बेबस मजदूरों की सुध नहीं ले रहे हैं।
वार्ड वासियों ने बताया कि जिन खंभों के माध्यम से हाइटेंशन तार दौड़ रही है वे खंभे तक जर्जर हो चुके हैं।तेज हवा के झोंकों ने इन खंभों को मोड़ भी दिया है, जिसके चलते हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक
घरों की छतों से खुली हाइटेंशन बेतरतीब तार इतने करीब है कि इसे आसानी से हाथ से छुआ जा सकता है, यदि कोई बच्चा खेलते हुए इन तारों के करीब पहुंच जाएं तो कभी भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
चुनावी वादे खोखले साबित
चुनाव के वक्त मजदूरों को जनप्रतिनिधि खूबसूरत जिंदगी के रंगीन सपने दिखाकर चले जाते है, परंतु सच्चाई यह है कि चुनाव के बाद ना तो यहां किसी तरह से वादे पूरे किए जाते हैं, और ना ही मूलभूत सुविधाओं उपलब्ध कराने की दिशा में ठोस पहल की जाती है।
आड़े-तिरछे खंभे
मूल स्वरूप खो चुके आड़े-तिरछे बिजली के खंभे तथा खुले आसमान में झूलती तारें अपना वजूद बिना किसी सहारे के कायम रखे हुए हैं, बरसात का मौसम होने के कारण आए दिन यहां दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है जिसके चलते दिन भर काम करने के बाद भी मजदूर चैन से सोकर अपनी थकान नहीं मिटा पा रहे हैं।
विभाग के दावे खोखले
बरसात आते ही जिम्मेदार विभाग द्वारा मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए की राशि खर्च की जाती है परंतु वार्डों में खंभों तथा आसमान में झूलती खुली हाईटेंशन की तार को देखकर विभाग के दावों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। विभाग के जिम्मेदार बड़ी रकम कहां खर्च कर रहे हैं यह भी बड़ा सवाल है।
वर्जन-
इस संदर्भ में मैंने अधिकारियों को अवगत करा दिया है तथा शीघ्र ही इसे चुस्त दुरुस्त करने की उन्होंने बात कही हैं। मैं अपने वार्ड वासियों को किसी भी स्थिति में तकलीफ नहीं होने दूंगा।
– संदीप शर्मा,वार्ड पार्षद