Google को कोर्ट का कड़ा आदेश, प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को भी देना होगा सीक्रेट डेटा

Om Giri
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एंटीट्रस्ट केस में Google को अमेरिकी अदालत से बड़ी राहत मिली है, पिछले साल इंटरनेट सर्च मामले में गूगल को अवैध एकाधिकार का दोषी पाया गया था जिसके बाद गूगल के खिलाफ सख्त कदम उठाने की सिफारिश की भी की गई थी. गूगल को क्रोम ब्राउजर तक को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता लेकिन अब अदालत ने आदेश दिया है कि गूगल को Chrome Browser बेचने की जरूरत नहीं है.

कंपनी को प्रतिस्पर्धियों के साथ जानकारी साझा करनी होगी. इसका मतलब ये है कि अब आदलत से मिले आदेश के बाद कंपनी को डेटा शेयरिंग को लेकर अपनी पॉलिसी में बड़ा बदलाव करना होगा. यह मामला Google के खुद के प्रोडक्ट्स जैसे कि एंड्रॉयड, क्रोम और यहां तक कि एपल डिवाइस पर गूगल को डिफॉल्ट सर्च इंजन सेट करने के इर्द-गिर्द घूम रहा था. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब गूगल को न ही क्रोम ब्राउजर और न ही एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम को बेचना पड़ेगा, जो दुनिया के अधिकांश स्मार्टफोन में चलता है.

Google ने रखा था ये प्रस्ताव

अमेरिकी न्याय विभाग ने इस बात की मांग उठाई थी कि गूगल को क्रोम बेच देना चाहिए, लेकिन अब आदलत से मिली राहत के बाद अब गूगल क्रोम को अपने पास रख सकती है लेकिन अब कंपनी को प्रतिद्वंद्वियों के साथ भी सर्च डेटा को साझा करना होगा. गूगल ने एपल जैसी कंपनियों के साथ रेवेन्यू शेयरिंग एग्रीमेंट को सीमित करने और एपल डिवाइस और ब्राउजर पर सर्च इंजन को डिफॉल्ट रूप में सेट करने जैसे थोड़े कम कठोर समाधान का प्रस्ताव रखा था.

आपको ये जानकर थोड़ी हैरानी हो सकती है कि हर साल गूगल द्वारा ऐपल को अरबों डॉलर का भुगतान किया जाता है और वो भी सिर्फ इसलिए ताकि आईफोन पर गूगल डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में बना रहे. कंपनी ने कहा कि वह आदलत के इस फैसले को एक जीत के रूप में देखती है.

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