I LOVE MOHAMMAD लिखने वालों पर एक्शन, मुस्लिम संस्था का राष्ट्रपति को पत्र, की हस्तक्षेप की मांग

देश में इन दिनों ‘I Love Muhammad’ का मामला गरमाया हुआ है. कानपुर से शुरू हुए इस विवाद का असर अब दूसरे राज्यों में नजर आ रहा है. कई राज्यों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ‘I Love Muhammad’ लिखकर विरोध प्रदर्शन और जुलूस निकाले, जिस पुलिस ने कार्रवाई की है. इस बीच मुंबई की रजा अकादमी के अध्यक्ष मौलाना सईद नूरी ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.
रजा अकादमी के अध्यक्ष मौलाना सईद नूरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भेजा है. उन्होंने हाल ही में विभिन्न राज्यों में ‘I Love Muhammad’ लिखने या प्रदर्शित करने वालों के खिलाफ की जा रही पुलिस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है. उन्होंने इसे धार्मिक भेदभाव बताते हुए राष्ट्रपति से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.
मौलाना सईद ने ज्ञापन में क्या कहा
मौलाना सईद अपने ज्ञापन में कहा है कि लाखों मुसलमान अपने पैगंबर मोहम्मद साहब के प्रति प्रेम और आदर व्यक्त करते हैं. यह किसी भी तरह से भड़काऊ नहीं है, न हिंसा के लिए उकसाता है और न ही अन्य समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि ऐसे भाव को अपराध घोषित करना असंवैधानिक और धार्मिक भेदभाव है.
अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कानपुर, उन्नाव, महाराजगंज, कौशांबी, लखनऊ सहित नागपुर, मुंबई, काशीपुर (उत्तराखंड) और देश के कई हिस्सों में निर्दोष नागरिकों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर एफआईआर की जा रही है और गिरफ्तारियां हो रही हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, न कि धार्मिक भावनाओं की शांति पूर्ण अभिव्यक्ति को दबाना. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दबाव में पुलिस की कार्रवाई युवाओं और समुदाय में भय, असुरक्षा और अलगाव पैदा कर रही है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मांग
इसके साथ ही रजा अकादमी के अध्यक्ष मौलाना सईद नूरी ने अपने ज्ञापन में मांग की है कि ‘I Love Muhammad’ लिखने, बोलने या प्रदर्शित करने वालों के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस लिए जाएं. उन्होंने आग्रेह किया किया कि इन घटनाओं की उच्च-स्तरीय, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराई जाए साथ ही अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि सभी राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं कि शांतिपूर्ण धार्मिक अभिव्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में अपराध न माना जाए.
चिंता जाहिर करते हुए मौलाना सईद नूरी ने ज्ञापन में कहा असामाजिक और राष्ट्रविरोधी तत्व इस स्थिति का फायदा उठाकर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकते हैं. इसलिए राष्ट्रपति से अपील है कि वह इस मामले को गंभीरता से लें और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें.
क्या है मामला
दरअसल यह विवाद 4 सितंबर 2025 को बारावफात के जुलूस से शुरू हुआ था. कानपुर के रावतपुर में बिना इजाजत के एक जुलूस निकाला गया। था. इसी दौरान सड़क किनारे ‘I Love Muhammad’ लिखा एक पोस्टर लगाया गया. जिस पर दूसरे समुदाय के लोगों ने नाराजगी जाहिर की इसे नई परंपरा बताकर विरोध किया. वहीं पुलिस ने अनुमति न होने की वजह से पोस्टर हटवा दिए, जिसके बाद मुस्लिम युवकों ने कुछ पोस्टर फाड़ दिए. पुलिस ने इस पर कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया.
वहीं इस मामले में तूल तब पकड़ लिया जब इस मुद्दे को लेकर कुछ राजनेताओं बयान दिए, जिससे लोगों का गुस्सा भड़क गया और यह मामला गरमा गया. कानपुर से शुरू हुआ ये मामला उन्नाव, बरेली, कौशांबी, लखनऊ, महाराजगंज, काशीपुर तक पहुंच गया. इसके बाद देश के उत्तराखंड, तेलंगाना और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में मुस्लिम समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया और जुलूस निकाले जिस पर पुलिस ने एक्शन लिया और मुकदमे दर्ज किए.