मध्यप्रदेश

इंदौर की स्वर्ण बाग कॉलोनी में देर रात बड़ा अग्नि कांड, 8 लोगों की मौत, मल्टी में हादसा। मल्टी मालिक फरार, जलते हुए सवाल !

इंदौर की स्वर्ण बाग कॉलोनी में देर रात बड़ा अग्नि कांड, 8 लोगों की मौत, मल्टी में हादसा। मल्टी मालिक फरार, जलते हुए सवाल !

इंदौर के विजय नगर क्षेत्र स्थित स्वर्णबाग कॉलोनी के दुमंजिला रहवासी भवन में भीषण आग की ख़बर है। इसमें सात लोगों के जिंदा जलने से मौत की भी सूचना है। मेरे अनुभव के मुताबिक इंदौर में आग की किसी घटना में एक साथ सबसे अधिक लोगों के हताहत होने की यह घटना है।

शुक्रवार शनिवार की दरमियानी रात को इस दो मंजिला मकान में आग का विस्तृत विवरण अभी नहीं मिला है। लेकिन संभावित कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। हताहत भवन में किराएदार थे। जिले के कलेक्टर और नगर के पुलिस कमिश्नर समेत संबंधित थाने का बल, प्रशासन का दल घटनास्थल का दौरा कर चुका है।

आग की सूचना मिलते ही दमकल गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंची। दमकल पर भरोसा किया जा सकता है। क्योंकि दमकल ‘इंदौर पुलिस फायर ब्रिगेड’ है। इंदौर नगर पालिक निगम के आधीन नहीं है। माना इनके पास आधुनिक संयंत्र नहीं है या अत्यधिक ऊंचाई तक पहुंचने की क्षमता सीमित है। लेकिन यह लोग अपना काम अच्छा करते हैं।

आज सबसे पहला सवाल दड़बे जैसे असुरक्षित मकान बनाने वालों पर उठना ही चाहिए। दूसरा सवाल शहर में अवैध अतिक्रमण करने में ‘नंबर वन’ लालची बिल्डर्स से और पैसे लेकर आंख मूंदने वाले नगर पालिक निगम से होने ही चाहिए। सवाल मीडिया और छपासुओं से भी होना चाहिए जो जनता को ऐसे गंभीर खतरों के बारे में कम ही जागरूक करते हैं।

आग यदि शाम के रश अवर्स में, शहर के मध्य में लगती तो? अग्निशमन गाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती आग बुझाना ना होकर उस स्थान पर पहुंचने की होती। अरे हम शहर को डीकन्जेस्ट करने की जगह मध्य पर फोकस करके बनाते बिगाड़ते जा रहे हैं। शहर के मध्य में स्थित पुराना सुव्यवस्थित बस स्टैंड नया लेकिन बेढंगा बनाया गया।

निजी बस ऑपरेटर एसोसिएशन के दबाव में यहां से नजदीक के शहरों की बसों का संचालन पुनः प्रारंभ किया गया। जबकि इस स्टैंड का उपयोग इंदौर शहर के सिटी ट्रांसपोर्ट के लिए कारगर साबित होता। अब लगभग यहां ही ‘दो हजार करोड़’ की लागत से इंदौर के पुराने रेलवे स्टेशन को सुविधा संपन्न बनाने की जगह नया बड़ा बनाया जा रहा है।

जिसकी कोई आवश्यकता ही नजर नहीं आती। गेज परिवर्तन के पश्चात इंदौर के मुख्य स्टेशन पर चार प्लेटफार्म हैं। पत्थर गोदाम पर कारगर स्टेशन का विस्तार किया गया है। उसी दिशा में आगे लक्ष्मीबाई नगर भी रेलवे स्टेशन है। जहां विस्तार और विकास दोनों की संभावना है। ज्यादा ‘क्रेडिट’ कमाना ही है तो एक नया स्टेशन MR10 पर बनाया जा सकता है। एमजी रोड या राजबाड़ा जैसी एक ही जगह बड़ा वास्तु बनाने की क्या आवश्यकता है। सब कुछ आप राजवाड़े पर करेंगे तो कैसे होगा। स्मार्ट सिटी के गड्ढे यहां, मेट्रो यहीं से निकालनी है। मेट्रो के तीन चार स्टेशन, ‘दो हजार करोड़ का रेलवे स्टेशन तीन साल में’ यहीं बनाना है। आखिर क्यों? शहर को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। विकास का विकेंद्रीकरण भी होना चाहिए।

आपात परिस्थितियों को ध्यान में रख भविष्य की आवश्यकताओं को समझकर विकास क्यों नहीं करते हैं। सोचिये यदि आग चंदन नगर जुनापीठा सदर बाज़ार जैसी सघन संकरी बस्ती में लगती तो? अरे जमीन घेरने के चक्कर में ना तो हमारे घरों में हवा की जगह है। ना सूरज की रोशनी को। पिछले साल कोरोना की दूसरी वेव में चिताओं की आग में भी हमारा ज़मीर नहीं तपा। नहीं जागा।  ‘इंदौर नंबर वन’ जचाने का कचरा प्रबंधन, कचरा गाड़ी के गाने, अफसरों की गाड़ियों के हूटर, जनप्रतिनिधियों की अति छपासू प्रवृत्ति, प्रदेश सरकार का इवेंट मैनेजमेंट। बस ये ही हो रहा है।

0 Reviews

Write a Review

यह भी पढ़ें...

Back to top button