शुक्र प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि और पितृपक्ष: जानें 19 सितंबर को प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त,पूजा विधि

शुक्र प्रदोष शुभ मुहूर्त: 19 सितंबर 2025 को एक दुर्लभ संयोग बन रहा है शुक्र प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि और पितृपक्ष का एक साथ होना. इस दिन व्रत रखने, शिवलिंग का अभिषेक करने और पितृ तर्पण करने से जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत कथा पढ़ना और पूजा विधि का पालन करना विशेष रूप से शुभ फल देता है. इस अवसर पर किए गए कर्म और पूजा का प्रभाव दोगुना माना जाता है.
19 सितंबर का तिथि और शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 18 सितंबर 2025, रात 09:35 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 19 सितंबर 2025, रात 09:10 बजे तक
प्रदोष काल (पूजा का श्रेष्ठ समय)- 19 सितंबर 2025, शाम 06:30 से 08:50 बजे तक
इस दौरान भगवान शिव-पार्वती की आराधना का विशेष महत्व है. यही समय शिवरात्रि व्रत और पितृ तर्पण का भी सर्वोत्तम काल माना गया है.
पूजा-पाठ विधि
प्रातः स्नान और संकल्प- सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें. पूर्वजों की स्मृति में जल अर्पण करें.
घर की शुद्धि- गंगाजल छिड़ककर पूजा स्थान को पवित्र करें.
भगवान शिव का पूजन
- प्रदोष काल में शिवलिंग को जल, दूध और पंचामृत से स्नान कराएं.
- बेलपत्र, धतूरा, आक का फूल, अक्षत और चंदन अर्पित करें.
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें.
- माता पार्वती का पूजन- लाल फूल, सिंदूर और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें.
- दीपदान- शिवलिंग के सामने तिल या घी का दीपक जलाएं.
- व्रत कथा का श्रवण/पाठ- शुक्र प्रदोष व्रत कथा अवश्य सुनें.
- पितृ तर्पण- पितरों को जल, तिल और अन्न का अर्पण करें.
- भोजन-प्रसाद- ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर व्रत का पारण करें.
विशेष फल
- शुक्र प्रदोष व्रत- वैवाहिक सुख और समृद्धि प्रदान करता है.
- मासिक शिवरात्रि- पापों का क्षय और शिवकृपा की प्राप्ति कराती है.
- पितृपक्ष तर्पण- पूर्वज प्रसन्न होकर वंशज को आशीर्वाद देते हैं